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अगर आप सामाजिक सुधार व् राजनितिक सुधार में रूचि नही रखते हैं।
संविधान दिवस पर जानिए लोकतंत्र बंधक कैसे हो गया और कैसे मिलेगी लोकतंत्र को आज़ादी
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देश में गड़बड़ी की सबसे बड़ी वजह जवाबदेही है क्यूंकि लोक-तंत्र का सीधा सम्बन्ध है जवाबदेही से | लोकतंत्र कि परिभाषा है “जनता अपनें प्रतिनिधि के माध्यम से सत्ता पर नियंत्रण रखेगी”
….संविधान के 19-C के अनुसार समूह, संस्था, यूनियन, कोआपरेटिव, सोसाइटी बनानें का अधिकार है, इसी के तहत पार्टियाँ (समूह) बनीं जिसे चुनाव आयोग नें 1989 में RP Act-29 तहत पार्टियों का पंजीकरण किया ताकि पार्टियाँ अपनी विचारधारा का प्रचार कर सकें और अपनी विचारधारा का प्रतिनिधि विकल्प दे सकें, परन्तु चुनाव आयोग द्वारा पार्टियों के लिए किये आरक्षित चुनाव-चिन्ह को पार्टियों नें अपना पहचान-चिन्ह बनाकर ब्रांड प्रोडक्ट के रूप कमल, पंजा, साइकिल, हाथी, झाड़ू, लालटेन आदि स्थापित कर चुनाव-चिन्ह की नीलामी करनें लगे और प्रतिनिधि उस स्टेब्लिश चुनाव-चिन्ह के प्रति जवाबदेह बन गया बजाये जनता के प्रति जवाबदेह होनें के |
…..चुनाव-चिन्ह की लोकतंत्र में भूमिका :EVM पर चिन्ह (आकृति) केवलअशिक्षितमतदाताओं के लिए लगाया जाता है चूँकि वो नाम नहीं पढ़ पाते है लिहाज़ा चिन्ह (आकृति) देखकर अपने प्रत्याशी को वोट दे पाते हैं, अब EVM पर प्रत्याशी की फोटो (आकृति) लगने लगी है जिसने चुनाव चिन्ह की भूमिका को समाप्त कर दिया | अब अशिक्षित लोग फोटो पहचान कर मतदान कर सकेंगे लिहाज़ा EVM पर दो-दो चिन्ह को रखना न सिर्फ बेमानी है बल्कि अवसर की समता का उलंघन भी है |
…..चुनाव लडनें की योग्यता संविधान के अनुच्छेद ८४ में दी गयी है जिसके अनुसार चुनाव वहीलड़ेगा जो भारत का नागरिक हो, वोटर हो और बालिग भी हो लिहाज़ा साफ़ हो जाता है कि कोई दल, निकाय इन योग्यताओं को पूरा नहीं कर सकती इसीलिए कभी भी दलों का नाम EVM पर नहीं छपता है फिर भी चुनाव-चिन्ह की वजह से ही तय होता है कि किस चिन्ह वाले की सत्ता है और उस चिन्ह के समर्थक भौकाल झाड़ते हैं |
…..लोकतंत्र की आज़ादी का सिर्फ एक ही उपाय है कि EVM से चुनाव-चिन्ह हटाया जाये क्यूंकि इसके हटते ही चुनाव-चिन्ह की जगह चेहरे (फोटो) का प्रचार और पहचान कराना अनिवार्य हो जायेगा, चुनाव लड़ने वाला आपके बीच रहकर काम करनें के लिए बाध्य होगा जिससे प्रतिनिधि पार्टी के बजाये जनता का रहेगा और जन साधारण भी आसानी से सत्ता के शिखर पर बगैर पार्टी की कृपा के पहुच सकेगा जबकि आज जमीन से जुड़े कार्यकर्ता पार्टी की अनुकम्पा के मोहताज़ हैं जिनकी उपेक्षा करके पार्टियाँ बाहर के लोगों को टिकट नीलाम कर देती हैं | चुनाव-चिन्ह (आकृति) के EVM से हटते ही जनता द्वारा संवैधानिक सरकार बनेगी एवं जनहित में काम होगा और लोकतंत्र आज़ाद हो जायेगा |

एफोर्डएबल तरीका :
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लोकतंत्र को आज़ाद करानें और Clean Politics के लिए पार्टियों के सामनें जो खामियां हैं उसे दूर करके किसी पार्टी को आदर्श माडल देना होगा जिससे स्थापित पार्टियों को आदर्श माडल की तरह कार्य करनें की बाध्यता हो जाये |
आदर्श पार्टी का उदाहरण :
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1- पार्टी समाजसेवी संस्था की तरह काम करे, यही पार्टी बनने की मूल भूमिका थी |
2- पार्टी का कोई चुनाव-चिन्ह/पहचान-चिन्ह नहीं हो जिससे प्रत्याशी की फोटो ही उसका चुनाव-चिन्ह होगा जिससे जनता के प्रति जवाबदेह रहे न कि पार्टी के प्रति और लोगों के बीच रहनें और उनका काम करनें कि बाध्यता होगी अपने चेहरे को पह्चंवानें के लिए इससे जनहित में काम करेगा न कि दलहित में |
3- प्रतिनिधि को सभी सुविधाएँ मिलती हैं लिहाज़ा चुनाव लड़ते समय तन्खवाह न लेनें का एफिडेविट दे |
4- प्रतिनिधि का चुनाव में घोषित संपत्ति के अलावा जीतनें के बाद कोई संपत्ति बढ़ती है तो उसे राष्ट्र कि संपत्ति घोषित हो जानें का एफिडेविट दे |
5- पार्टी व्हिप नहीं जारी करे ये उसके संविधान में हो जिससे आश्वस्त कर सके